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जीवन परिचय: कवि अरविंद कुमार पटेल आजकल मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रह रहे हैं | अरविंद जी स्थायी रूप से वाराणसी उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं |
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जाने कितने रिश्तों को समेटे
वो ख़ुद के वजूद से लड़ती रही,
वो स्त्री थी यारों उसे सबने गिराया
पर मिशाल बनके वो आगे बढ़ती रही..!
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मैं परेशान हूँ..
मैं परेशान हूँ..
समन्दर किनारे बैठा मैं परेशान हूँ.
खुद के अनसुलझे सवालों के जवाब ढूंढता
मैं परेशान हूँ..
जिसने मुझे प्यार के नाम पर धोखा दिया,
अपने प्यार के काबिल न समझा.उस बेवफ़ा से,
मैं परेशान हूँ..
अपने गमों से,अपनी तन्हाई से,अपने बेपनाह मोहब्बत से,मैं परेशान हूँ..
वो उसकी नादानियां,वो उसका बचपना,उसकी शरारतें,उसके साथ बिताया हर लम्हां भूलते हुए
मैं परेशान हूँ..
जो बीत गया उस सोच के साथ जो आने वाली मुश्किलें है उसके लिए,मैं परेशान हूँ..
मासूमियत को खोते हुए समझदारी को जीते हुए
मैं परेशान हूँ..
अपनो की उम्र को घटते देख कर,मैं परेशान हूँ.
जिससे मोहब्बत किया वो मिली नही,जो मिला उससे चाहत नही इस लिए परेशान हूँ.
कोई पूछ न ले परेशानी का सबब दुनियां के लिए मुस्कुराते हुए मैं परेशान हूँ.
पुराने रिश्तों को छोड़ कर नए रिश्तों को बनाने में,
मैं परेशान हूँ.
अपनी नादानियों का घर छोड़ कर समझदारी के घर जाता हुआ,मैं परेशान हूँ..
लोगो की बातों पे अक्सर चुप रह जाता हूँ,ख़ुद के अन्दर,ख़ुद को मैं कितना सुनाता हूँ
मैं परेशान हूँ.
आंखों में आँसू मन मे सवाल लिए इस घर को छोड़ता हुआ,मैं परेशान हूँ..
अपने कैरियर,अपने माँ बाप की खुशियों के लिए
मैं परेशान हूँ..
क्या होगा आने वाले कल को इस बात से मैं परेशान हूँ..
कई उलझनों के बाद भी मुस्कुराता हुआ
दुनियां को अपने समझदारी से जलता हुआ..
“हां मैं परेशान हूँ”